कम पानी में धान की खेती कैसे करें

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कम पानी में धान की खेती कैसे करें – धान की खेती करने वाले किसानों को सबसे ज्यादा पानी की जरुरत होती है। जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन पानी की संकट बढ़ते जा रहा है उससे अनुमान लगा सकते है कि भविष्य में खेती करने के लिए पानी तो दूर पीने के पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा। लेकिन धान उत्पादन की ऐसे भी कुछ विधि है जिस माध्यम से खेती करने में पानी की कम आवश्यकता पड़ती है। पानी की समस्या को देखते हुए कृषि हेतु पानी के लिए जूझ रहे किसान बड़ी मात्रा में अब एरोबिक विधि को अपना रहे है। इस विधि से खेती करने में पानी की कम आवश्यकता होती है साथ ही उत्पादन भी भरपूर होती है।

धान की एरोबिक विधि से खेती करने पर खेत में पानी भरने की आवश्यकता भी नहीं होती , साथ ही खेती करने से पहले उसे ज्यादा तैयार करने की भी आवश्यकता नहीं होती। एरोबिक विधि में धान के बीज को कतार में बो दिया जाता है जिससे बीज की मात्रा भी कम लगता है। एक एकड़ खेत में एरोबिक विधि से धान की खेती करने पर मात्र 10 किलो धान के बीज की आवश्यकता पड़ती है। रोपा विधि में जहाँ नर्सरी लगाने में भरपूर पानी की आवश्यकात होती है उसके बाद रोपाई में भी बहुत पानी लगता है। जबकि एरोबिक विधि में खेत में पानी भरने की आवश्यकता नहीं होती। अन्य विधियों के तुलना में एरोबिक विधि से 40 से 50 फीसदी कम पानी की आवश्यकता पड़ती है।

एरोबिक विधि से खेती करने में कुछ सावधानियां

  • सूखा बर्दास्त करने वाले धान की किस्म का चुनाव करना चाहिए।
  • एरोबिक विधि से धान की बुआई करने वाले किसान गर्मी में या गेहूं कटाई के बाद खेत की जुताई करके छोड़ देने चाहिए। जिससे बारिश का पानी खेत को अच्छे से मिल सके।
  • यदि धान के बुआई के बाद 15 दिनों तक बारिश न आए तो सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई करते समय ज्यादा पानी भरने की आवश्यकता नहीं है जिस प्रकार से गेहूं की सिंचाई करते है ठीक उसी प्रकार से सिंचाई करनी चाहिए।
  • खेत को छोटे – छोटे हिस्सों में मेढ़ के माध्यम से बाँट देनी चाहिए ताकी बारिश के पानी को इकठ्ठा करके अधिक समय तक खेत में रोका का सके जिससे नमी बनी रहे।
  • खरपतवार नाशी का उपयोग तभी करें जब खेत में पर्याप्त नमी हो। खरपतवार नाशी के उपयोग से खरपतवार नष्ट हो जाते है।
  • यदि ऊंचाई में खेती हो तो कम अवधि में पकने वाले किस्म का चयन करें , वहीँ यदि नीचे भाग में खेत हो और बारिश का पानी रुकता हो तो मध्यम अवधि में पकने वाले धान के किस्म का चयन करें।
  • एरोबिक विधि से धान की बुआई सीडड्रिल या जीरो टिलेज मशीन से ही किया जाए। इन मशीनों के माध्यम से धान की बुआई करने से एक सीध में धान की बुआई होती है जिससे निराई गुड़ाई में भी आसानी होती है। यदि किसी कारण से मशीन की उपलब्धता न हो तो हाँथ से ही एक सीध में बुआई करें।
  • एरोबिक विधि से यदि मई में धान की बुआई करें तो 12 – 13 किलों धान के बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है ,वहीँ जून – जुलाई में बुआई करने से 10 किलो धान की आवश्यकता होती है। ज्यादा मात्रा में धान के बीज डालने से पौधे कमजोर हो सकते है।

एरोबिक विधि से धान की खेती करने के लाभ

  • एरोबिक विधि से बहुत कम पानी की आवश्यकता पड़ती है।
  • धान के बीज मात्र 10 से 12 किलो प्रति एकड़ लगता है।
  • क्रम से लाइन में कतार से धान के पौधे होने के कारण कीट , रोग आदि का प्रकोप बहुत कम लगता है।
  • निदाई गुड़ाई भी आसानी से हो जाती है।
  • खाद एवं उर्वरक की कम मात्रा लगती है।
  • पानी के कम उपलब्धता पर भी आसानी से खेती किया जा सकता है।
  • धान की उत्पादन भरपूर होती है।
  • इस विधि से खेती करने में मिट्टी की उर्वराशक्ति बनी रहती है।
  • यह विधि पर्यावरण के हिसाब से उपयुक्त विधि है।
  • कम लागत में अधिक मुनाफा लिया जा सकता है।

सारांश – कम पानी में भी धान की अच्छी फसल लेने की एरोबिक विधि के बारे में हमने विस्तार से बताया है जिस प्रकार से दिनों दिन पानी की समस्या बढ़ रही है जिस कारण से अब किसान भी एरोबिक पद्धति को बहुतायत में अपना रहे है। पानी की समस्या को देखते हुए अब खेती करने के पारम्परिक तरीके को छोड़कर अब इसी तरह के अन्य और विधियों के माध्यम से खेती करने की आवश्यकता है। ताकि पानी के संकट से बचा जा सके और उत्पादन में भी कोई कमी न आए। उम्मीद है यह जानकारी आप लोगो को अच्छी लगे ,,, इस जानकारी को कृपया अधिक से अधिक लोगो तक अवश्य शेयर करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

कम पानी में धान की खेती के लिए कौन सा विधि उपयुक्त है ?

कम पानी में भी धान की अच्छी खेती हेतु एरोबिक विधि सबसे बढ़िया है।

एरोबिक विधि में एक एकड़ मि कितना बीज की आवश्यकता पड़ती है ?

एक एकड़ में 10 से 12 किलो धान के बीज की आवश्यकता पड़ती है।

किसानों का रुझान एरोबिक विधि की ओर क्यों बढ़ रहा है ?

जिस प्रकार से लगातार पानी की समस्या बढ़ रही है उसे देखते हुए कम पानी में अच्छी खेती करने के लिए किसानों का रुझान एरोबिक विधि की तरफ बढ़ रहा है।

एरोबिक विधि से एक एकड़ में कितान उत्पादन होता है ?

एरोबिक विधि से एक एकड़ में कम पानी पर भी अधिकतम 38 क्विंटल धान की उतपादन लिया जा सकता है।

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