धान की बम्पर पैदावार कैसे ले

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धान की बम्पर पैदावार कैसे ले – हमारा देश कृषि प्रधान देश है। देश में सबसे ज्यादा धान की फसल ही उगाई जाती है। विश्व में मक्का के बाद सबसे ज्यादा उगाए जाने वाला फसल धान ही है। भारत देश धान उगाने के मामले में विश्व में चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है। समय के साथ – साथ खेती किसानी करने के तकनीकों में भारी बदलाव आ गए है। पुरानी परंपरागत खेती किसानी को छोड़कर आधुनिक एवं उन्नत तकनीक से खेती किसानी करने से उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यदि आप भी धान की फसल उगाते है और उत्पादन क्षमता में बम्पर वृद्धि (उत्पादन क्षमता में भारी वृद्धि ) करना चाहते है तो कृपया इस पोस्ट को अंत तक अवश्य देखें।

भारत में धान की खेती प्रमुख रूप से पंजाब , हरियाणा , मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश , छत्तीसगढ़ , आंध्र प्रदेश , पश्चिम बंगाल , तमिलनाडू एवं झारखण्ड में उगाया जाता है। देश के नागरिकों का प्रमुख भोजन चावल ही है। चावल का सेवन देश के सभी हिस्सों में की जाती है। धान की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए किसानों को कृषि तकनीकों का ज्ञान होना आवश्यक है। ताकि वह धान के फसलों के साथ – साथ अन्य फसलों के उन्नत किस्म का भी चुनाव कर सके। भूमि और जलवायु के समझ के आधार पर धान की फसल सहित अन्य फसलों के पैदावार को बढ़ाया जा सकता है।

माह मई के शुरू होते ही खरीफ फसलों के सीजन की शुरुआत हो जाती है। मानसून के आने से पहले ही देश के करोड़ों किसान धान की फसल लेने के लिए तैयारी शुरू कर देते है। धान के उत्पादन क्षमता में वृद्धि एवं अच्छी फसल लेने के लिए किसानों को धान बोने के पहले से लेकर धान की कटाई तक कई बातों का ध्यान रखना होता है। खरीफ फसल के सीजन में फसल बोने से पहले जमीन की तैयारी बहुत जरुरी होती है। आधुनिक उन्नत एवं वैज्ञानिक तकनीक के धान की फसल लेने से पैदावार में वृद्धि होती है। धान की बम्पर फसल लेने के लिए कई बातों का ध्यान रखना होता है।

धान की बम्पर पैदावार कैसे ले

देश के करोड़ों किसानों को धान के पैदावार में भारी वृद्धि के लिए कई बातों को ध्यान में रखना होगा। धान की बम्पर पैदावार करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें

धान की अच्छी किस्म का चुनाव – धान की खेती करने और पैदावार में वृद्धि के लिए धान की अच्छी किस्म का चुनाव करना बहुत जरुरी है। धान की कुछ अच्छी किस्म ये रहा – पूसा सुगंधा 3 , DRR – 310 , मकरान किस्म , NDR – 359 , धान सीड CSR – 310 , एमटीयू – 1010 , स्वर्णा , आईआर – 54 , हाइब्रिड – 620 एवं आईआरडी – 64 प्रमुख है।

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भूमि की तैयारी – खरीफ सीजन आने से पहले ही गर्मी में एक बार खेत की जुताई अच्छे से करके छोड़ देने चाहिए। साथ ही गोबर खाद अथवा कम्पोस्ट खाद बरसात से पहले खेत में अवश्य डाल देवें।

बीजोपचार – धान की बुआई अथवा नर्सरी उगाने से पहले वैज्ञानिक पद्धति से बीजोपचार अवश्य कर लेवें। बीजोपचार करने से फसलों में बीमारी कम लगती है।

सही मात्रा में धान की बुआई / रोपाई – धान की खेती के लिए खेत के क्षेत्रफल / एकड़ के हिसाब से ही धान की बुआई या रोपाई करें। कम या ज्यादा मात्रा में धान की बुआई / रोपाई करने पर फसल पैदावार प्रभावित होती है। सही मात्रा में उपयोग से धान की फसल में वृद्धि होगी।

धान की खेती कैसे करें ,, आधुनिक एवं उन्नत तकनीक।

सही समय में खेती – आम तौर पर कई किसान खेती किसानी के समय को समझ नहीं पाते जिस कारण से उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। मानसून यदि सही समय पर आ जाए तो माह जून के मध्य या तीसरे सप्ताह में नर्सरी तैयार करना शुरू कर देवें।

उर्वरक का सही मात्रा और सही समय में उपयोग – धान के फसल के लिए उर्वरक का सही मात्रा में उपयोग करना आवश्यक होता है साथ ही समय का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।

देशी प्रजाति धान में प्रति हेक्टेयर उर्वरक की मात्रा किलो में –

शीघ्र पकने वाले – नत्रजन – 60 , फास्फोरस – 30 , पोटास – 30

मध्यम अवधि में पकने वाले – नत्रजन – 60 , फास्फोरस – 30 , पोटास – 30

लम्बी अवधि में पकने वाले – नत्रजन – 60 , फास्फोरस – 30 , पोटास – 30

सही तरीके से खेती – भूमि के प्रकार एवं जलवायु के हिसाब के धान के किस्मों के चुनाव के साथ – साथ सही विधि से फसल लेने चाहिए। जैसे – बोवाई के बजाय रोपाई विधि से धान की फसल लेने चाहिए।

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क्यारियों में फसल – यदि आप अपने खेत को छोटे – छोटे क्यारियों में बांटकर फसल उगाएंगे तो धान की पैदावार बढ़ेगी। साथ ही बिमारियों और कीटों का प्रकोप कम होगा।

सिंचाई के साधन का उपयोग – धान के फसल के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। पानी के साधन होने पर रोपाई विधि से फसल लेवें। साथ ही फसलों को नियमित अंतराल पर ही पानी देवें।

खरपतवार का निदान – धान के फसल में खरपतवार का निदान करना आवश्यक है। धान बोन से पहले से ही खरपतवार की साफ – सफाई अच्छे से करें। खरपतवार फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को प्रभावित करती है।

फसल चक्र का उपयोग – एक ही फसल को बार – बार लेने से फसल उत्पादन घटती है। अतः फसल चक्र का नियमित उपयोग करें। एक दो से तीन वर्षों के बाद फसल में अवश्य बदलाव करें।

समय पर फसल कटाई – धान के फसल पक जाए तो उसे तत्काल कटाई करवाएं। समय से पहले और समय के बाद कटाई , मिसाई करवाने से फसल उत्पादन प्रभावित होती है।

निगरानी – अपने फसलों का सतत निगरानी करते रहे जिससे बीमारी आने पर तत्काल जानकारी होगी जिससे कीटनाशक का उपयोग सहित जरुरी कदम उठाये जा सके।

निष्कर्ष – धान के फसल में वृद्धि के लिए ऊपर दी गई सभी जानकारी का अच्छे से अवश्य पालन करें। अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय या कृषि अधिकारी से भी नियमित चर्चा करते रहें। धान के बम्पर पैदावार लेने के लिए भूमि की तैयारी से लेकर , सही बीज का चुनाव , उर्वरक का उपयोग , खरपतवार का निराकरण , सिंचाई की प्रबंधन सहित अन्य महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

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