धान के रोग का उपचार कैसे करें , धान में कौन सा कीटनाशक डाले , धान के प्रमुख रोग , धान के कीटनाशक दवाई , Dhan Ke Rog Ka Upchar Kaise Kare , Dhan Me Kaun Sa Kitnashak Dale , उन्नत एवं आधुनिक खेती कैसे करें , Unnat Avm Adhunik Kheti Kaise Kare , Dhan Ke Kaun – Kaun Se Rog Hai , dhaan me Kaun Sa Kitnashak dale , धान में कौन सा दवाई डाले , धान के कीटनाशक
धान के रोगों का उपचार एवं कीटनाशक – धान खाद्यान्न की प्रमुख फसल है। धान का उत्पादन हमारे देश में बहुतायत में किया जाता है। चावल दुनिया की आधी आबादी का प्रमुख भोजन है। चावल का उत्पादन विश्व का 90 फ़ीसदी एशियाई देशों में की जाती है। विश्व में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है धान उत्पादन करता है। चीन अकेले विश्व का लगभग 31.7 फीसदी चावल उत्पादन करता है। वहीँ भारत में चावल का उत्पादन विश्व के कुल हिस्से का 22.40 फ़ीसदी उत्पादन होता है। हमारे देश में खरीफ का प्रमुख फसल धान है जिसे सभी राज्यों में उगाया जाता है। किसानों की आर्थिक स्थिति में धान के फसल पर ही निर्भर करती है।
धान के फसल में कई प्रकार के रोगों और कीटों का प्रकोप होने का खतरा बना रहता है। धान के फसल का नियमित निगरानी करना आवश्यक होता है , ताकि किसी भी प्रकार के रोग या कीटों का अंदेशा हो तो तत्काल उसका उपचार कर बीमारी को फैलने से रोका जाए। आज के इस आर्टिकल में हम आप लोगो को धान के रोगों का उपचार एवं कीटनाशक के उपयोग के बारे में बताएंगे। यदि आप एक किसान है या किसान परिवार से सम्बन्ध रखते है तो कृपया इस आर्टिकल को अंत तक अच्छे से अवश्य पढ़ें। ताकि इसमें दी गई जानकारी आपके काम आ सके।

धान के प्रमुख रोग
- सफेदा रोग
- खैरा रोग
- शीथ ब्लाइट
- झोंका रोग
- भूरा धब्बा
- जीवाणु झुलसा
- जीवाणु धारी
- मिथ्य कंडुआ
धान के रोगो के उपचार एवं कीटनाशक
सफेदा रोग – सफेदा रोग के नियंत्रण हेतु 5 किलोग्राम फेरस सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया अथवा 2.5 किलोग्राम बुझे हुए चुने के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेयर 1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
खैरा रोग – खैरा रोग के नियंत्रण हेतु 5 किलो ग्रामा जिंक सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया अथवा 2.5 किलोग्राम बुझे हुए चुने के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेयर 1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
धान के प्रमुख रोग , कीट , खरपतवार एवं नियंत्रण के उपाय यहाँ देखें।
शीथ ब्लाइट – शीथ ब्लाइट के नियंत्रण हेतु हेक्साकोनाजोल 5.0 प्रतिशत ई.सी. 1 लीटर को 500 से 700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से झिडकाव करना चाहिए।
झोंका रोग – झोंका रोग के नियंत्रण हेतु कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी 500 ग्राम को 500 से 700 लीटर में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव करना चाहिए।
भूरा धब्बा – भूरा धब्बा के नियंत्रण हेतु एडिफेनफास 50 प्रतिशत ई.सी. 500 मिलीलीटर को 500 या 700 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव करना चाहिए।
जीवाणु झुलसा – जीवाणु झुलसा के नियंत्रण हेतु 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत एवं टेट्रासाइक्लिन 10 प्रतिशत को 500 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी के साथ मिलाकर 500 से 700 लीटर पानी के साथ प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव करना चाहिए।
जीवाणु धारी – जीवाणुधारी के नियंत्रण हेतु 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत एवं टेट्रासाइक्लिन 10 प्रतिशत को 500 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी के साथ मिलाकर 500 से 700 लीटर पानी के साथ प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव करना चाहिए।
मिथ्य कंडुआ – मिथ्य कंडुआ के नियंत्रण हेतु कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी 500 ग्राम अथवा कॉपर हाइड्राक्साइड 77 प्रतिशत डब्लयू पी 2.0 किलो ग्राम को 500 से 700 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के दर से छिड़काव करना चाहिए।
धान के फसल के प्रमुख कीट
- दीमक
- जड़ का सुडी
- पत्ती लपेटक
- गंधी बग
- सैनिक कीट
- नरई कीट
- हिस्पा
- बंका कीट
- तना बेधक
- हरा फुदका
- भूरा फुदका
- सफ़ेद पीठ वाला फुदका
धान के कीटों से नियंत्रण के उपाय
- खेत एवं मेड़ों को घासमुक्त रखना एवं मेड़ों की सफाई करना।
- फसल की कम से कम सप्ताह में दो बार निगरानी करनी चाहिए।
- समय से फसल की रोपाई
- दीमक बाहुल्य क्षेत्र में कच्चे गोबर एवं हरी खाद का उपयोग करना चाहिए।
- फसल के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए।
- उर्वरकों का संतुलित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए।
- जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- भूरा फुदका एवं सैनिक कीट बाहुल्य क्षेत्र में 20 पंक्ति के बाद एक पंक्ति छोड़कर फसल उगाना चाहिए।
- अच्छे जल निकासी वाले खेत के दोनों सिरे पर रस्सी से पौधे के ऊपरी भाग में तेजी से गुजारने पर बंका कीट पानी में गिर कर बाह जाती है।
- तना बेधक कीट के पूर्वानुमान एवं नियंत्रण हेतु 5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए।
- नीम की खली को धान बुआई के पहले खेत में डालने से दीमक के प्रकोप में कमी आती है।
सारांश – धान के फसल लगने वाले प्रमुख रोग एवं उनके नियंत्रण हेतु उपाय एवं कीटनाशक के बारे में बताया है साथ ही धान के फसल में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनके नियंत्रण के उपाय भी बताये है। उम्मीद है उक्त जानकारी आपके काम आएगी। इस जानकारी को कृपया सभी लोगो को अवश्य शेयर करे। कृषि से सम्बंधित किसी भी जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें ,,,, धन्यवाद।