धान के प्रमुख रोग , कीट , खरपतवार एवं नियंत्रण

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धान के प्रमुख रोग , कीट एवं खरपतवार – धान हमारे देश की प्रमुख खाद्यान्न फसल है। धान की उपज पुरे दुनिया में चीन के बाद हमारे देश का ही नंबर आता है। आज दुनिया भर में 156 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है। धान उत्पादन में चीन सबसे आगे है , पूरी दुनिया का 31.37 प्रतिशत धान उत्पादन यही होता है। भारत में लगभग 44.6 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती होती है। जो विश्व का 22.40 फ़ीसदी है। इसके आलावा बांग्लादेश , इंडोनेशिया , थाईलैंड , वियतनाम , म्यांमार आदि देशों में प्रमुख रूप से धान की खेती की जाती है।

धान के उत्पादन एवं गुणवत्ता को धान में लगने वाले रोग , कीट एवं खरपतवार प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते है। यदि फसलों की सही देखभाल न की जाए तो ये कीट , रोग एवं खरपतवार धान के फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देते है। आज के इस आर्टिकल में हम धान के फसलों में लगने वाले प्रमुख रोग , कीट एवं खरपतवार की जानकारी बताएंगे। यदि आप एक किसान है या किसान फेमिली से आते है तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। धान के अच्छे फसल के लिए किसानों को धान के रोग , कीट एवं खरपतवार को पहचानने के आलावा उसके नियंत्रण या निदान की भी जानकारी होनी आवश्यक होती है। यहाँ पर आप धान के प्रमुख रोग , कीट एवं खरपतवार की जानकारी नीचे देख पाएंगे।

धान के प्रमुख कीट , रोग , खरपतवार एवं नियंत्रण

धान के फसल में कई प्रकार के रोग , कीट एवं खरपतवार लग जाते है जिनका समय पर निदान करना आवश्यक होता है। सिंचित क्षेत्र , असिंचित क्षेत्र , जलवायु आदि के आधार पर फसलों में कीट एवं रोग लगते है यहाँ पर हम फसलों में लगने वाले कीट, रोग एवं खरपतवार की जानकारी प्रदान कर रहे है।

धान के फसल के प्रमुख कीट

  • दीमक
  • जड़ का सुडी
  • पट्टी लपेटक
  • गंधी बग
  • सैनिक कीट
  • नरई कीट
  • हिस्पा
  • बंका कीट
  • तना बेधक
  • हरा फुदका , सफ़ेद पीठ वाला फुदका एवं भूरा फुदका

नियंत्रण के उपाय

  • खेत एवं मेड़ों को घासमुक्त रखना एवं मेड़ों की सफाई करना।
  • समय से फसल की रोपाई
  • फसल की कम से कम सप्ताह में दो बार निगरानी करनी चाहिए।
  • दीमक बाहुल्य क्षेत्र में कच्चे गोबर एवं हरी खाद का उपयोग करना चाहिए।
  • फसल के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए।
  • उर्वरकों का संतुलित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए।
  • जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  • भूरा फुदका एवं सैनिक कीट बाहुल्य क्षेत्र में 20 पंक्ति के बाद एक पंक्ति छोड़कर फसल उगाना चाहिए।
  • अच्छे जल निकासी वाले खेत के दोनों सिरे पर रस्सी से पौधे के ऊपरी भाग में तेजी से गुजारने पर बंका कीट पानी में गिर कर बाह जाती है।
  • तना बेधक कीट के पूर्वानुमान एवं नियंत्रण हेतु 5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए।
  • नीम की खली को धान बुआई के पहले खेत में डालने से दीमक के प्रकोप में कमी आती है।

धान के प्रमुख रोग

  • सफ़ेदा रोग
  • खैरा रोग
  • शीथ ब्लाइट
  • झोंका रोग
  • भूरा धब्बा
  • जीवाणु झुलसा
  • जीवाणु धारी
  • मिथ्य कंडुआ

नियंत्रण के उपाय

  • बीजोपचार – स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत एवं टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत की 4.0 ग्राम मात्रा को लेकर प्रति 25 किलोग्राम बीज की दर से बीजशोधन करना चाहिए।
  • भूमि उपचार – जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर 20 – 25 किलो भूमि के जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए।
  • पर्णीय उपचार – 5 किलोग्राम फेरस सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया अथवा 2.5 किलोग्राम बुझा चुना के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेयर 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

प्रमुख खरपतवार

  • होरा घास
  • बुलरस
  • छतरीदार मोथा
  • गंध वाला मोथा
  • पानी की बरसीम
  • संकरी पत्ती – सांवा , सांवकी , बूटी , मकरा , कांजी , बिलुवा
  • चौड़ी पत्ती – मिर्च बूटी , फूल बूटी , पान पत्ती , बोन झालोकिया , साथिया , कुसल

नियंत्रण के उपाय

  • गर्मियों में खेत की जुताई
  • मिट्टी को बार – बार पलटना
  • फसल चक्र अपनाना
  • हरी खाद का उपयोग
  • खुरपी आदि से निराई गुड़ाई
  • खरपतवारनाशी का संतुलित मात्रा में उपयोग
  • मेड़ों की नियमित साफ – सफाई
  • क्यारियों में फसल लेना।

सारांश – धान के फसल में लगने वाले प्रमुख , कीट , रोग , खरपतवार एवं उनके नियंतरण के बारे में हमने विस्तार से बताया है। उम्मीद है यह जानकारी आपको अवश्य पसंद आएगी। कृपया इस जानकारी को अन्य लोगो तक भी अवश्य शेयर करें। कृषि कार्य से सम्बंधित और भी अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने नजदीकी कृषि अधिकारी या कार्यालय से अवश्य संपर्क करें।

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